विवरण: मैं अपने विश्वास में तल्लीन हूं, और मेरी भक्ति सिर्फ चर्च तक ही सीमित नहीं है। मुझे अपनी दैनिक प्रार्थनाओं में परमानंद मिलता है, और यह सिर्फ शास्त्रों का पाठ नहीं है। मैं शारीरिक सुखों की पवित्रता का आनंद लेता हूं, प्रत्येक दिन परमानंद के लिए अपने शरीर की पेशकश करता हूं।